गोवर्धन पूजा की विधि
प्रिय मित्रों! आप सभी लोग जानते ही होंगे कि दीपावली के दूसरे दिन प्रात:काल गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट पूजन भी कहते हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ही पूजा को गोवर्धन के रूप में स्वीकार करते हैं। किसी की भी पूजन करना कोई खिलवाड़ नहीं होता, बल्कि पूजन के लिए विशेष नियमों की जरूरत होती है।
मैं आपको बता दूॅं कि, गोवर्धन पूजा की विधि की जानकारी अधिकांश लोगों को नहीं होती है, और यदि उनकी पूजन परम्परा में विकार आ गया हो तो, पूजा गलत ही होगी, और उस पूजन से लाभ भी नहीं के बराबर होगा।
अत: मैं आपलोगों को विष्णु पुराण में महर्षि पराशर जी द्वारा कही गयी गोवर्धन पूजा की विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहा हूॅं --
1. गोवर्धन पूजा में किसकी पूजा की जाती है?
भारत के ब्रजधाम नामक स्थान में स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा (गिरी यज्ञ) और गाय की पूजा की जाती है।
2. गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?
इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए आपको भारत के प्राचीन इतिहास पर एक नजर डालना पड़ेगा, वह इस प्रकार है-
द्वापर युग में जब भगवान विष्णु का कृष्णावतार हुआ, उन दिनों गोकुल या ब्रजधाम में वर आगे आरंभ होने पर वर्षा पर नियंत्रण रखने वाले देवराज इंद्र की विधि विधान से पूजा की जाती थी
वर्षा ऋतु के बीत जाने पर तालाब इत्यादि जल से परिपूर्ण होकर स्वच्छ और निर्मल दिखाई देने लगते हैं। उस समय ब्रजमण्डल में निर्मल आकाश नश्रत्रों से भरी शरत्काल के आने पर भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि समस्त ब्रजवासी इन्ददेव की पूजन करने की तैयारी में लगे हुए हैं ।
महामति श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को उत्साह पूर्ण देखकर अपने बढ़े - बूढ़ो से पूछा कि आपलोग यह इन्द्र यज्ञ करने की तैयारी क्यों कर रहे हैं ?
इस प्रकार अत्यन्त आदर पूर्वक पूछनें पर उनलोगों ने बताया कि - मेघ और जल के मालिक देवराज इन्द्र हैं। उनकी प्रेरणा से ही मेघगण वर्षा करते हैं , और हम व समस्त देहधारी उस वर्षा से पलित अन्न से देवताओं को भी तृप्त करते हैं और स्वमं भी खाते हैं। इसलिए वर्षा ऋतु के अन्त में समस्त राजा लोग, हम और अन्य मनुष्यगण देवराज इन्द की प्रसन्नता पूर्वक पूजा किया करते हैं।
इन्द्र की पूजा के विषय में सुनकर श्री कृष्ण जी उन लोगों को इस प्रकार से समझाने लगे-
जो व्यक्ति जिस विद्या से युक्त है, वही उसकी इष्ट देवता है और वही पूजा के योग्य है और वही परम हितकारी भी है। जो मनुष्य किसी एक से लाभ प्राप्त करके किसी और की पूजा करता है उसका इहलोक और परलोक में कहीं भी शुभ नहीं होता। हमलोग न तो कृषक हैं, और न व्यापारी और न ही निश्चित गृह अथवा खेतवाले किसान ही हैं। हमलोग तो जहाॅं शाम हो जाती है, वही रह जाने हैं। अतः हमें गृहस्थ किसानों की भाॅंति इन्द्र की पूजा करने का कोई काम नहीं। हमारे देवता तो ये पर्वत और गौ (गाय) ही हैं। ब्राह्मण लोग मन्त्र यज्ञ और कृषकगण हल का पूजन करते हैं, अतः हमलोगों को भी गिरिपूजन (गोवर्धन पूजा) और गाय की पूजा करनी चाहिये।
अतः आप लोग विधिपूर्वक विविध सामग्रियों से गोवर्धन पर्वत का पूजन करें।
गोवर्धन पर्वत की पूजा, होम और ब्राम्हणों को भोजन कराने के बाद शरद् ऋतु के पुष्पों से सजी हुई गायें गोवर्धन पर्वत की प्रदक्षिणा करेंगी।
भगवान कृष्ण की बातें समस्त ब्रज वासी मान गये, और तब इन्द्र की पूजा के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की गयी ।
3. गोवर्धन पूजा की असली विधि क्या है?
1. गोवर्धन पूजा करने के लिए दीपावली के दूसरे दिन प्रात: काल समस्त पूजा करने के इच्छुक लोग स्नान आदि करके पवित्र हो जाए।
2. अब मकान के द्वारदेश में गौ के गोबर का पर्वतनुमा गोवर्धन बनायें और लता-पुष्पादि से सजाएँ।
3. अब दीपक जलाकर दूध, दही, खीर, हलवा, पूरी, मिठाइयों, फल और गन्ध-पुष्पादि से यथासामर्थ्य गोवर्धन की पूजा करें।
4. अब 'गोवर्धन धराधार गोकुलत्राण कारक। विष्णुबाहुकृतोच्छा्रय गवां कोटि प्रदो भव:।।' मन्त्र बोलते हुए गोवर्धन को प्रणाम करें।
5. अब गायों का यथाविधि पूजन करके 'लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनूरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे ममं पापं व्यपोहतु।।' मन्त्र बोलते हुए गाय को प्रणाम करें।
6. अब पवित्र अग्नि में गोवर्धन पर्वत के लिए थोड़ा - थोड़ा चढ़ायी गयी सामग्री डालकर होम कर दें।
7. सम्भव हो तो ब्राम्हणों को भोजन करायें।
8. अब पुष्पों से सजी हुई गायों के सहित गोवर्धन पर्वत की प्रदक्षिणा करें या गौ उपलब्ध न हो तो स्वंय असम अंक में परिक्रमा करें।
9 .अब गोवर्धन पूजा हो गयी। अब अभी या कल सुबह में गाय को प्रसाद खिलाकर अपने परिजनों में प्रसाद का भोग लगायें।
4. गोवर्धन पूजा किन लोगों को करनी चाहिये ?
जैसा कि आप ऊपर बताई गई विष्णुपुराण की एक छोटे खण्ड को पढ़कर समझ गये होंगे कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा क्यों करायी, और आपको करना उचित है कि नहीं।
5. आज के समय में गोवर्धन पूजा में क्या गलत होता है?
1. लोग बिना स्नान किये ही पूजन करती हैं।
2. गोवर्धन को पर्वत न मानकर गलत चीज माना जाता है।
3. लोग गोवर्धन को लाॅंघती हैं, जबकी उनकी गाय के सहित परिक्रमा की जाती है ।
उपसंहार :
मैंने इस पूजा के असली नियम को आपके सामने प्रस्तुत करने का भरसक प्रयास किया है। यदि इसमें कोई गलती हो तो आप उसे सुधार लें और हमें कमें करके अवश्य बताएं। धन्यवाद !
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