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सुदर्शन चक्र रक्षा कवच स्तोत्र

भगवान श्री रूद्र जी ने भगवान श्री हरि से प्रश्न किया कि, हे समस्त जगत के पालनहार! कृपा करके आप हमें वह अद्भुत ज्ञान बताइए, जिससे समस्त प्राणी ग्रह दोष

सुदर्शन चक्र रक्षा कवच: 

भगवान श्री रूद्र जी ने भगवान श्री हरि से प्रश्न किया कि, हे समस्त जगत के पालनहार! कृपा करके आप हमें वह अद्भुत ज्ञान बताइए, जिससे समस्त प्राणी ग्रह दोष, प्रेतबाधा, रोग, भय तथा सभी प्रकार के विघ्नों से अपनी रक्षा कर सकें ? तब इस सुदर्शन चक्र रक्षा कवच को स्वयं भगवान श्री हरि जी ने श्री रूद्र जी को सुनाया। इसका वर्णन गरुण पुराण में दिया गया है। 

इस सुदर्शन चक्र रक्षा कवच का पाठ स्वच्छता और भक्ति-भाव से युक्त होकर भगवान विष्णुजी की पूजा-पाठ के उपरांत करना चाहिए। इस सुदर्शन चक्र रक्षा कवच को ग्रहणकाल, जन्माष्टमी या दीपावली आदि पुण्य अवसरों पर सामर्थ्य भर पढ़कर सिद्ध कर लेने से बहुत ही तीव्र प्रभाव होता है। इसका पाठ या सिद्ध करते समय कोई विशेष कर्म नहीं करना होता है। यदि आवश्यकता पड़े तो किसी भी संकटकालिन परिस्थिति में इसका स्मरण किया जा सकता है।

सुदर्शन चक्र रक्षा कवच:

नम: सुदर्शनायैव सहस्त्रादित्यवर्चसे।
ज्वालामालाप्रदीप्ताय सहस्त्राराय चक्षुषे,
सर्वदुष्टविनाशाय सर्वपातकमर्दिने।।1।।

सुचक्राय विचक्राय सर्वमन्त्रविभेदिने।
प्रसवित्रे जगद्धात्रे जगद्धिध्वंसिने नम:।।2।।

पालनार्थाय लोकानां दुष्टासुरविनाशिने।
उग्राय चैव सौम्याय चण्डाय च नमो नम:।।3।।

नमश्चक्षु:स्वरूपाय संसारभयभेदिने।
मायापञ्जर भेत्रे च शिवाय च नमो नम:।।4।।

ग्रहातिग्रहरूपाय ग्रहाणां पतये नम:।
कालाय मृत्यवे चैव भीमाय च नमो नम:।।5।।

भक्तानुग्रहदात्रे च भक्तगोप्त्रे नमो नम:।
विष्णुरूपाय शान्ताय चायुधानां धराय च।
विष्णुशस्त्राय चक्राय नमो भूयो नमो नम:।।6।।

अर्थ: सहस्त्रों सूर्य के समान तेज संपन्न सुदर्शन चक्र को नमस्कार है। तेजस्वी किरणों की मालाओं से प्रदीप्त हजारों अरो वाले नेत्र स्वरूप, सर्वदुष्ट विनाशक तथा सभी प्रकार के पापों को नष्ट करने वाले आपको नमन है।

सुचक्र तथा विचक्र नामधारी, संपूर्ण मंत्र का भेदन करने वाले, जगत की सृष्टि करने वाले ,पालन-पोषण करने वाले, एवं जगत का संहार करने वाले हे सुदर्शन चक्र! आपको बारंबार प्रणाम है।

(संसार की रक्षा करने के लिए) देवताओं का कल्याण करने वाले, दुष्ट राक्षसों का विनाश करने वाले, दुष्टों का संहार करने के लिए उग्र-स्वरूप एवं प्रचंड स्वरूप और सज्जनों के लिए सौम्य स्वरूप धारण करने वाले आपको बारंबार नमस्कार है। 

जगत के लिए नेत्र स्वरूप, संसार भय को काटने वाले, मायारुपी पिजड़े का भेदन करने वाले कल्याणकारी सुदर्शन चक्र को नमस्कार है। 

भक्तों पर कृपा करने वाले, उनके अभिरक्षक, विष्णुस्वरूप शान्त स्वभाव समस्त आयुधों की शक्ति को अपने में धारण कर स्थित रहने वाले भगवान विष्णु के शस्त्र भूत हे सुदर्शन चक्र! आपको बारंबार नमस्कार है।

Conclusion: 

प्रिय मित्रों! आप लोग इस रक्षा कवच का पाठ करके अपने और अपने परिवार का अनेक विघ्न-बाधाओं से रक्षा कर सकते हैं।

Able People Encourage Us By Donating : सामर्थ्यवान व्यक्ति हमें दान देकर उत्साहित करें।

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