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Basant Panchami 2022: सरस्वती पूजा, बसन्त पंचमी का शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

 बसन्त पंचमी (Basant Panchami)

प्रिय मित्रों! इस लेख में हमने बसंत पंचमी के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। कृपया आप इस लेख को पूरा पढ़ें-

जैसा कि माघ के महीने से वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है और वसंत ऋतु में सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, बसंत पंचमी। हम आपको विस्तार से बताएंगे कि इस बार तथा हर बार बसंत पंचमी पर आप कौन से उपाय करें, ताकि आपकी बहुत सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएं ; तो चलिए बताते हैं:

Basant Panchami

बसंत पंचमी किस तरीके से वरदान देती है ?  बसंत पंचमी पर मां सरस्वती जी की कृपा कैसे बरसेगी और इस बसंत पंचमी पर माता की कृपा से वाणी की समस्याएं आखिर कैसे दूर होगी ? बसंत पंचमी के दिन कौन से प्रयोग किए जाएं, कौन से उपाय किए जाएं की माता सरस्वती की कृपा से बहुत सारे वरदान मिल सके, इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं ! इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में मिल जाएंगे।

सन् 2022 में बसंत पंचमी से एक दिन पहले की जानकारी:

सबसे पहले जान लेते हैं,  4 फरवरी 2022 के दिन तिथि - माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, नक्षत्र है - उत्तराभाद्रपद शाम को 6:29 तक, इसके बाद रेवती नक्षत्र ,चंद्रमा मीन राशि में संचरण कर रहे हैं, राहुकाल का समय सवेरे 7:30 से तकरीबन 9:00 बजे तक है। इस दिन पूर्व दिशा की यात्रा करना मनाही है, लेकिन यात्रा करना जरूरी है तो यह मजबूरी है की आप यात्रा पर जाएं।

वसंत पंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है:

पहले बसंत पंचमी पर चर्चा करें, उसके लिए पहले यह जान लेते हैं कि वसंत पंचमी का त्योहार क्या है और बसंत पंचमी महिमा क्या है ?

 माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि को प्रदान करने वाली मां सरस्वती की उपासना तथा कामदेव व रति देवी का पूजन किया जाता है, और इनकी उपासना के पर्व को बसंत पंचमी कहते हैं।

यह जो बसंत ऋतु होती है, उसमें मन बहुत चंचल होता है, और श्रवण महीने में दोबारा वही मौका आता है जब मन चंचल होता है। अतः माघ के महीने में मां सरस्वती की पूजा होती है और सावन के महीने में मन को कंट्रोल करने के लिए भगवान शिव की पूजा होती है। ऐसा विद्वानों का मत है।

बसंत पंचमी का महत्व:

बसंत पंचमी को "श्री पंचमी" भी कहा जाता है। यह मां सरस्वती जी की पूजा का विशेष दिन होता है। शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरूआत करने के लिए आज का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन अनेक भक्तजन लोग गृह प्रवेश भी करते हैं। 

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ज्ञान की देवी माता सरस्वती जी शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती जी की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती जी की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की अनेक मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं; इसलिए जो पति-पत्नी इस दिन कामदेव और देवी रति की पूजा करते हैं, उनके वैवाहिक जीवन में कभी अड़चनें नहीं आती हैं।

बसन्त पंचमी के दिन विद्यार्थी लोग लिखाई - पढ़ाई कर सकते हैं कि नहीं ?

बसन्त पंचमी के दिन विद्यार्थी लोग लिखाई - पढ़ाई बिल्कुल कर सकते हैं, लेकिन सुबह स्नान करके माता सरस्वती जी की पूजा - अर्चना  जरूर करें ।

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त:

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, दिन शनिवार, 5 फरवरी 2022 को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन रविवार, 6 फरवरी को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले - पहले की जाती है।

बसन्त पंचमी की विस्तृत जानकारी

 माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाते हैं, और यह साल के अत्यंत शुभ पर्वों में से एक है। वसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, भैया दूज और देवोत्थानी एकादशी इस साल के ऐसे मुहूर्त हैं जिनको अद्भुत मुहूर्त कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें विवाह, निर्माण और जितने भी शुभ कार्य हैं, वे सब किए जा सकते हैं, यानी शुभ कार्य करने के लिए बसंत पंचमी का जो पर्व है, बसंत पंचमी का जो मौका है, बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस समय ऋतुओं का संधिकाल होता है, शिशिर ऋतु की समाप्ति होती है और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इस समय में ज्ञान और विज्ञान दोनों का वरदान मिलता है। इसके अलावा संगीत का, कला का और अध्यात्म का आशीर्वाद भी बसंत पंचमी में लिया जा सकता है।

 शास्त्र कहते हैं कि कुंडली में विद्या, बुद्धि का योग नहीं है या किसी बाधा का योग है, तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है। अगर आप मां सरस्वती जी की विशेष रूप से पूजा करें तो आपको विद्या व बुद्धि को ज्ञान का वरदान अवश्य प्राप्त होगा।

जो बच्चे ठीक से बोल नहीं पाते, सुन नहीं पाते, उनके लिए भी बसंत पंचमी पर मां शारदा या मां सरस्वती जी की उपासना काफी लाभकारी होती है। ऐसा माना जाता है कि जिसके पास अच्छी वाणी नहीं है, माता की कृपा से उसको वाणी मिलती है, जिसके पास कान नहीं है, उसको सुनने की शक्ति मिलती है। भगवान - भगवती की महिमा का पार कोई नहीं पा सकता।

बसन्त पंचमी की पूजा विधि

माघ शुक्ल पूर्वविद्धा पंचमी को उत्तम वेदी पर वस्त्र बिछाकर अक्षतों का अष्टदल कमल बनाये। उसके अग्रभाग में गणेशजी और पृष्ठ भाग में ' वसन्त ' - जौ, गेहूँ की बाली का पुंज (जो जल से पूर्ण कलश में डंठल सहित रखकर
बनाया जाता है) स्थापित करके सर्वप्रथम गणेशजी का पूजन करें और पीछे उक्त पुंज में रति और कामदेव का पूजन करें तथा उनपर अबीर आदि के पुष्पोपम छींटे लगाकर वसन्त के सदृश बनाये। 

तत्पश्चात् - 
शुभारतिः प्रकर्तव्या बसन्तोज्ज्वलभूषणा। नृत्यमाना शुभा देवीसमस्ताभरणैर्युता ।। 
वीणावादनशीला च मदकर्पूरचर्चिता। 

से रति देवी का और

 'कामदेवस्तु कर्तव्यो रूपेणाप्रतिमो भुवि । अष्टबाहुः सकर्तव्यः शङ्खपद्मविभूषणः ।। 
चापबाणकरश्चैव मदादश्चितलोचनः ।रतिः प्रीतिस्तथा शक्तिर्मदशक्तिस्तथोज्ज्वला ।। 
चतस्त्रस्तस्य कर्तव्याःपत्न्यो रूपमनोहराः । चत्वारश्च करास्तस्य कार्य भार्यास्तनोपगाः ।। केतुश्च मकरः कार्यः पञ्चबाणमुखो महान् ।' से कामदेव का ध्यान करके विविध प्रकार के फल, पुष्प और पत्रादि समर्पण करे तो गृहस्थ जीवन सुखमय होकर प्रत्येक कार्य में उत्साह प्राप्त होता है।

बसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती जी की पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती जी की उपासना कैसे की जाएगी ?  किन बातों का ध्यान रखा जाएगा ? अब इसको बताते हैं -

बसंत पंचमी के दिन सफेद वस्त्र धारण करें या पीले रंग के कपड़े धारण करें ,पीले रंग के कपड़े या सफेद रंग के कपड़े धारण करें तो बहुत ही अच्छा होगा। काले रंग के वस्त्र ना पहने। पीला, लाल, या बसंती रंग के वस्त्र धारण करना वसंत पंचमी के लिए सर्वोत्तम होता है। 

इसके बाद उत्तर या पूर्वाभिमुख होकर पूजा की शुरुआत करें और यह पूजा सूर्योदय के बाद ढाई घंटे तक या सूर्यास्त के समय के अंदर करें तो बहुत अच्छा होगा।

सम्पूर्ण पूजा के लिए आप केवल ससामर्थ्य पंचोपचार, दसोपचार या षोडसोपचार पद्धति का ही सहारा लें।

मां सरस्वती जी को चंदन और पीले व सफेद फूल अवश्य अर्पित करें।

मां सरस्वती जी को भोग लगाएं, उसमें मिश्री, दही, लावा और खीर हो सकती है। बहुत सारे लोगों के यहां बसंती चावल बनते हैं, ये मीठे चावल होते हैं, वह भी आप मां सरस्वती को अर्पित कर सकते हैं।

इसके बाद मां सरस्वती का अचूक मंत्र व महा मंत्र - ॐ ह्रीं सरस्वत्यै नम: का भक्ति पूर्वक व सामर्थ्य के अनुसार जप करें। 

अब मां सरस्वती जी का भजन, कीर्तन व वंदना इत्यादि करें।

 मां सरस्वती जी से प्रार्थना करें कि आपको विद्या का, बुद्धि का, ज्ञान का वरदान प्राप्त हो। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करें व बाटें।

बसन्त पंचमी से अन्य लाभ

1. अब यह जानते हैं कि अगर किसी को एकाग्रता की समस्या है या काॅन्सनट्रेशन की प्रॉब्लम है, क्योंकि यह प्रॉब्लम बहुत कॉमन है, आप किसी भी उम्र में पढ़ रहे हों, आप बचपन में पढ़िए, जवानी में पढ़िए, प्रौढ़ावस्था में पढ़िए, यदि पढ़ते समय एकाग्रता भटकती है, मन इधर-उधर भटकता है तो क्या करें ?

अगर एकाग्रता की समस्या है तो ऐसे लोग एक नियम बना लें कि बसंत पंचमी से रोज सवेरे मां सरस्वती जी की वंदना करें, वसंत पंचमी पर शुरू करें और उसके बाद रोज सवेरे नहा करके मां सरस्वती की वंदना करें (या कुंदेंदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता...) यह मां सरस्वती की वंदना है, और बुधवार को मां सरस्वती जी को सफेद फूल अर्पित करें।

 ऐसा एक नियम आप बना ले और उसकी शुरुआत अगर बसंत पंचमी से करें तो आप देखेंगे आपका जो कंसंट्रेशन है, आपकी जो एकाग्रता है, वह बेहतर होनी शुरू हो जाएगी।

2. अगर सुनने की या बोलने की समस्या हो तो क्या करना चाहिए ?

सोने या पीतल का एक चौकोर टुकड़ा ले लें। किसी भी स्वर्णकार भाई के यहां से एक सोने या पीतल का चौकोर टुकड़ा खरीद लें। इस पर मां सरस्वती का बीज मंत्र " ऐं " लिखवा ले। उसके बाद उसे गंगाजल से धो लें। अब उसे लाल धागे में बसंत पंचमी के दिन गले में धारण करें। लेकिन याद रखें अगर आप इसे धारण करेंगे तो इसको धारण करने पर मांस - मदिरा का प्रयोग नहीं करेंगे।

यह बड़ा अद्भुत तरीके का यंत्र बन जाता है और जब आप इसको प्रयोग करते हैं तो सुनने या बोलने से संबंधित अगर कोई समस्या होती है, तो वह समस्या निश्चित रूप से दूर हो जाती है।

3. बसंत पंचमी के दिन सामान्य रूप से क्या करना बहुत अच्छा होगा ?

वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती जी को एक कलम अवश्य अर्पित करें। एक नई लाल या हरी कलम खरीदें और मां सरस्वती को अवश्य अर्पित कर दें और साल भर उसी कलम का प्रयोग करते रहे, लिखने में, साइन करने में, चित्र बनाने में, जो भी आप करना है उसी कलम का इस्तेमाल करें। 

काले रंग से बचाव करें। अगर आप पीला या सफेद वस्त्र धारण करेंगे तो आपके लिए बहुत अच्छा होगा और काले रंग के वस्त्र से बसंत पंचमी के दिन बचना चाहिए।

इस दिन केवल सात्विक भोजन करें। बसंत पंचमी पर घर में सात्विक भोजन ही बनायें। प्याज - लहसुन इत्यादि का प्रयोग ना करें। सात्विक भोजन करें। प्रसन्न रहें। स्वस्थ रहें।

वसंत पंचमी के दिन अगर आपकी कुंडली में ऐसा लिखा है कि आपको पुखराज पहनना चाहिए या मोती पहननी चाहिए या आपने पुखराज और मोती पहना हुआ है, तो उसे गंगाजल से शुद्ध करके दोबारा से बसंत पंचमी के दिन धारण करिए, बहुत अच्छा रहेगा। पुखराज और मोती बसंत पंचमी के दिन धारण करना काफी लाभकारी होता है।

वसंत पंचमी के दिन स्फटिक की माला को अभिमंत्रित करके भी आप धारण कर सकते हैं। माला को अभिमंत्रित कैसे करेंगे ?  एक सफेद रंग की स्फटिक की माला ले लें और माला पर मां सरस्वती का मंत्र ॐ सरस्वत्यै ऐं नमः मंत्र जपने के बाद वह माला मां सरस्वती के चरणों में रखें और उसके बाद उठाकर के गले में पहने। लेकिन जब भी आप इस माला को पहनते हैं तो इस बात का ध्यान रखिए कि रात में सोते समय माला को गले से निकाल देंगे और सुबह स्नान करने के बाद दुबारा उस माला को धारण कर लेंगे। आप गले में माला पहनते हैं तो आपको मांस - मदिरा इत्यादि का प्रयोग नहीं करना चाहिये।

Conclusion:-

बसंत पंचमी एक ऐसा मौका है। इस मौके पर आप ज्ञान का, विद्या, बुद्धि का वरदान पा सकते हैं। जरूरत सिर्फ इतनी है कि आप बहुत मेहनत से, बहुत श्रद्धा के साथ मां सरस्वती जी की पूजा व वंदना करें।

वसंत पंचमी से ऋतु परिवर्तन की शुरुआत होती है और यहीं से गर्मियां शुरू हो जाती हैं। इसलिए आयुर्वेद कहता है कि बसंत पंचमी के दिन से हल्का और सादा आहार ग्रहण करना शुरू कर देना चाहिए।

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