आसन और व्यायाम की सफलता में सहायक नियम:
मनमाने ढंग से और केवल अधूरे किताबी ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद आसनों का अभ्यास करने वाले
कभी - कभी हानि उठाते देखे गए हैं।
आसन और व्यायाम से सम्बन्धित कुछ विशेष नियम और जानकारियाँ निम्नलिखित हैं -
1. जो मनुष्य आसन एवं व्यायाम से उनके परम लाभ को प्राप्त करना चाहता है उनके लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना नितांत आवश्यक है।
2. प्राणायाम करने वालों को आसन एंव व्यायाम से शीघ्र और अधिक लाभ होता है।
3. भोजन सुधार भी आसन और व्यायाम के लिए बहुत प्रयोजनीय है।जो व्यक्ति भोजन में बिना सुधार किए ही आसन और व्यायाम करता है ,उन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पाता है इसलिए आसन करने वाले को सादा सप्राण एवं पुष्टिकर भोजन करना चाहिए। जरूरत से अधिक भी भोजन नहीं करना चाहिए और कभी-कभी उपवास अवश्य करना चाहिए इससे शरीर शुद्ध और मल रहित हो जाता है।
4. किसी रोग से पीड़ित होने पर मनमाना आसन करना ठीक नहीं। ऐसी अवस्था में किसी अनुभवी से राय लेकर ही आसन करना उचित है ।
5. गर्मी के दिनों में अधिक देर तक आसन नहीं करना चाहिए ।
6. आरंभ में बहुत कम समय तक आसन करें और फिर उसे क्रमशः बढ़ावे ।आसन करने में धैर्य, तत्परता एवं नियमितता की बड़ी जरूरत होती है।
7. आसन और व्यायाम करने के लिए कम से कम 15 मिनट और अधिक से अधिक 30 मिनट का समय काफी होता है ।
8. आसन व्यायाम करने के लिए प्रातः काल का समय अच्छा होता है। लेकिन अनुभव में आया है कि सायंकाल शरीर में लचक अधिक होती है,शाम के समय भी किया जा सकता हैं।
9. प्रातः काल शौच, मंजन आदि से निवृत्त होकर खाली पेट ही योगासन करने चाहिए । शौच के बाद ठंडे जल से स्नान करके योगासन करना सर्वोत्तम है।आसन के तुरन्त गर्म जल से स्नान कर सकते हैं या ठंडे जल से 15 मिनट बाद स्नान कर सकते हैं।
10. आसन करते समय ध्यान या प्रार्थना की जा सकती है।
11. ठंडे पहाड़ों पर अथवा सर्दी के मौसम में धूप में आसन करना अच्छा रहता है ।
12. आसन करते समय शरीर पर तेज हवा नहीं लगनी चाहिए।
13. अपने आसन का निरीक्षण व पुनः निरीक्षण करें और इस कार्य को अपनी आदत बना लें।
14. आसन भोजन के चार-पांच घंटे के बाद और हल्का नाश्ते के 2 घंटे के बाद कर सकते हैं।
15. आसन करते समय, समय का अनुमान गिनती गिनकर लगाना चाहिए और जैसे - जैसे किसी का समय बढ़ाएं वैसे ही गिनती की संख्या भी बढ़ाते रहना चाहिए। लेकिन एक साथ अधिक मात्रा में बढ़ा़ना उचित नहीं है क्रमशः से धीरे-धीरे बढ़ाएं।
16. ह्रदय रोग तथा रक्तचाप आदि के रोगियों को बिना डॉक्टर के परामर्श के योगासन नहीं करने चाहिए।
17. सप्ताह में एक दिन योगासन छोड़कर कोई अन्य कार्यक्रम जैसे भ्रमण, तैराकी आदि करना चाहिए।
18. योगासन सदैव शांत और प्रसन्नचित्त होकर स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए।
19. सप्ताह में एक बार फलाहार, रसाहार या उपवास करना लाभदायक है।
20. योगासन से पूर्व शवासन कर लेना लाभदायक है ।
21. आसनों के क्रम का विशेष ध्यान रखा जाए ,एक आसन के बाद उसका पूरक आसन भी किया जाए ।
22. समतल भूमि या फर्श पर कंबल या दरी आदि कुछ अवश्य बिछाए ।
23. किसी आसन में जोर न लगाए, लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।
24. हर दो-तीन आसन के बाद विश्राम करना अति आवश्यक है लेटने, बैठने या खड़े होने का स्थिति के अनुसार कोई विश्राम अवश्य करना चाहिए जिससे कि शरीर का क्षय न हो और रक्त संचार शुद्ध रहे।
25. आसन और व्यायाम कितनी देर तक करें, जितना आप सरलता पूर्वक कर सके। इसका कोई निश्चित नियम नहीं होता है। प्रत्येक आसन 3 घंटा 48 मिनट करने पर सिद्ध होता है इसी प्रकार किसी भी आसन में श्वास संबंधी संशय हो जाता है जैसे अमुक आसन श्वास भरकर के रखना चाहिए या बाहर निकालना चाहिए उस स्थिति में आसन को श्वास सामान्य रखकर के करना चाहिए।
26. आसन करने के बाद आधा घंटा विश्राम करके दूध - फल आदि लें । यदि दूध सुलभ न हो तो एक गिलास पानी पी लें।
27. आसन व भोजन करने के बाद पेशाब करना आवश्यक है ,इससे एकत्रित गंदगी मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाती है ।भविष्य में घुटनों में दर्द नहीं होगा।
28. कब्ज हो तो एक- दो गिलास ठंडा या गर्म जल पीकर अश्वासन , भुजंगासन, पवनमुक्तासन ,योग मुद्रा करके शौच जाएं लाभ मिलेगा ।
29. आंव के रोगी मेरुदंड पीछे झुकने वाले आसन न करें। जिनकी आंखें लाल हो गई हो उन्हें आसन नहीं करना चाहिए ।
30. रात्रि में 10 : 00 - 10:30 बजे सोकर प्रातः 4:00 बजे उठने की आदत डालनी चाहिए , यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही उत्तम है।
स्त्रियों के लिए आसन और व्यायाम से सम्बन्धित विशेष नियम:
उपरोक्त नियमों का पालन करनें के साथ -साथ महिलाओं को इन नियमों का भी पालन करना चाहिए -
1. मासिक धर्म होने के समय 6 दिन तक व्यायाम नहीं करना चाहिए ।
2. चार महीने का गर्भ होने पर व्यायाम बंद कर देना चाहिए। प्रसव हो जाने के चार महीने के बाद फिर शुरू किया जा सकता है।
3. महिलाओं को मयूरासन या सिद्धासन कभी नहीं करना चाहिए ।
सूर्य नमस्कार के लिए विशेष जानकारी :
1. 9 वर्ष से कम उम्र के बच्चे सूर्य नमस्कार न करें ।
2. सूर्योदय के समय पूरब की ओर मुंह करके सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
3. आरंभ में दो राउंड ( चक्र ) करना काफी है और धीरे-धीरे 2 से लेकर 50 राउंड ( चक्र ) कर सकते हैं । इससे सर्वांग पुष्टि होती है। इसे करने के बाद अन्य व्यायाम की आवश्यकता नहीं रह जाती है । व्यायाम खुली तथा हवादार जगह में किया जाए। श्वास मुंह से नहीं लेनी चाहिए।
4. व्यायाम करते समय शरीर पर लंगोट या जंघिया के सिवा अन्य वस्त्र नहीं होने चाहिए।
5. सर्दी के दिनों में व्यायाम से पूर्व शरीर को हाथों से रगड़ कर गर्म कर लेना चाहिए।
6. व्यायाम करने के बाद कुछ समय तक विश्राम करना आवश्यक है।
7. चाय, कोको आदि मादक द्रव्य एवं मांस आदि तामसिक खाद्यों से बचना चाहिए ।
8. ज्वर अथवा अन्य किसी रोग में या कोई बड़ा ऑपरेशन हुआ हो तो व्यायाम कदापि नहीं करना चाहिए ।
Conclusion:
आसन और व्यायाम से संबंधित ये कुछ विशेष नियम थे, जिन्हें प्रत्येक आसन और व्यायाम करने वाले व्यक्तियों को पालन करना चाहिए । इनके पालन न करने से या इन नियमों का पालन न करने से आसन और व्यायाम कर्ता को अनेक समस्याओं या कठिनाइयों का सामना करना पड़ जाता है और कभी-कभी तो फायदा के जगह गंभीर नुकसान भी हो जाता है।
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