प्याज के स्वास्थ्य लाभ
- प्याज का वैज्ञानिक नाम: ऐलियम सीपा
- प्याज की प्रकृति: गर्म और खुश्क
स्नायुविक व वातरोग:
प्याज इनमें लाभदायक है। होम्योपैथिक पद्धति में प्राय: इन रोगियों को प्याज से बनी हुई दवा ऐलियम सीपा खाने को दी जाती है।
प्याज की गन्ध:
प्याज खाने के बाद धनियाँ या इलायची या शक्कर खाने से प्याज की गन्ध नहीं आती है। प्याज डालकर बनाई गई साग-सब्जी में से प्याज की गन्ध को दूर करने के लिए पकाने के बाद थोड़ी-सी चीनी पानी में घोल कर सब्जी में डाल दें। प्याज की गन्ध नहीं आयेगी। बर्तन से प्याज की गन्ध दूर करने के लिए उन्हें नमक मिले गुन-गुने पानी से साफ करना चाहिए।
प्याज से सावधानी:
प्याज औषधोपचार के रूप में ही लाभदायक है। आहार या व्यसन (लत) के रूप में नहीं। अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ० राबर्ट हौसन के अनुसार मूत्र व्याधि से सम्बन्धित रोगियों के लिए प्याज हानिकर सिद्ध हो सकता है; क्योंकि प्याज में यूरिक एसिड नामक पदार्थ पाया जाता है; जो मूत्र रोगों के लिए हानिकर है। वैसे प्याज में पाया जाने वाला सोडियम, गन्धक, पोटाश आदि पदार्थ मानव शरीर के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं। इसके अतिरिक्त, अधिक प्याज खाने से पेट फूलना, मस्तिष्क दौर्बल्य, वात, सिरदर्द आदि की सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।
हानियों से बचाव:
प्याज को उपयोग में लाने के पूर्व नमक के पानी में अच्छी तरह भिगो लें, तत्पश्चात ही प्रयोग में लायें। इससे प्याज के दुर्गुण जाते रहते हैं।
खाँसी:
खाँसी जो अनेक दवाओं से ठीक नहीं होती, इससे ठीक हो जाती है।
फोड़े-फुंसी:
यदि गाँठ या फोड़ा पक गया हो, असह्य दर्द हो रहा हो, तो प्याज कूट-पीस कर, उसमें हल्दी, गेहूँ का आटा, पानी और शुद्ध घी मिलाकर थोड़ी देर आग पर रख कर पका कर पुल्टिस बना लें। फिर गर्म-गर्म, फोड़े या गाँठ पर बाँधें। इससे फोड़ा फट जायेगा, ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं रहेगी।
गठिया:
सरसों का तेल और प्याज का रस मिलाकर मालिश करने से गठिया के रोग में लाभ होता है।
सिर-दर्द:
हर प्रकार का सिर-दर्द, लू लगने के कारण सिर-दर्द हो तो प्याज को पीस कर तलुओं पर लेप करने से लाभ होता है। प्याज को काट कर सूँघने से भी सिर-दर्द दूर होता है।
हैजा:
हैजा होने पर आधा छटाँक प्याज का रस, थोड़ा-सा नमक डाल कर घण्टे-घण्टे पर पिलाने से लाभ होता है, या प्याज के रस में पोदीने का रस मिलाकर दस-दस मिनट पर एक-एक चम्मच पिलाते रहें। नीम्बू का रस एक भाग, हरा पोदीना और प्याज का टुकड़ा आधा-आधा भाग मिलाकर बार-बार पिलाने से लाभ होता है। हैजे में केवल प्याज का गुनगुना पानी पीने से लाभ होता है।
हैजे से बचाव:
हैजा फैलने पर इससे बचने के लिए 25 ग्राम प्याज का रस, एक कप पानी, एक नीम्बू, थोड़ा-सा नमक, काली मिर्च, अदरक का रस नित्य चार बार पीते रहने से हैजा नहीं होता।
दंतक्षय:
प्याज कच्चा खाये जाने पर यह मुख के हानिप्रद बैक्टीरियाओं को नष्ट कर देता है और दन्तक्षय को रोकता है। यह साँस की दुर्गन्ध को भी समाप्त कर देता है।
हार्ट फेल:
ब्रिटेन के 'रायल विक्टोरिया इनफर्मरी' नामक संस्थान वाले अनुसंधान के फलस्वरूप इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि प्रातः नाश्ते में एक प्लेट टुकड़े करके तले या उबाले गए प्याज के नित्य-प्रति सेवन करने से मनुष्य को दिल के दौरे नहीं पड़ेंगे। उनका कहना है कि प्याज से हृदयधमनियों (कोरोनरी आर्टीज) में रुधिर के थक्के नहीं बनते और इस प्रकार हृदय संभावित क्षति से बचा रहता है।
जिनके हृदय की धड़कन बढ़ गई हो, हृदय-रोग से बचना चाहते हों, वे एक कच्चा नित्य खाना खाते समय खायें। इससे धड़कन सामान्य हो जायेगी। हृदय को शक्ति मिलती है।
नशा:
किसी भी नशे से धुत्त व्यक्ति को एक कप प्याज का रस पिलाने से नशा बहुत कम हो जाएगा।
घट्टा:
घट्टा पर प्याज का रस तीन बार नित्य लगायें। नर्म हो जाने पर घट्टे को काट दें।
शक्तिवर्धक मर्दाना ताकत:
एक चम्मच प्याज का रस दो चम्मच शहद में मिला कर चाटें। प्याज मन में हलचल पैदा करता है। कामवासना को जगाता है। वीर्य को उत्पन्न तथा उत्तेजित करता है। देर तक मैथुन करने की शक्ति देता है।
सफेद प्याज का रस, अदरक का रस, शहद, देशी घी, प्रत्येक 6. ग्राम चारों को मिला कर प्रातः चाटें। 40 दिन सेवन करने से नामर्द भी मर्द बन जाता है। वीर्य बहुत उत्पन्न होता है।
किसी बीमारी या अधिक विषय-भोगों में लगे रहने से मर्दाना शक्ति कम हो तो उसे दूर करने के लिए निम्न प्रयोग करे:-
(1) 60 ग्राम लाल प्याज के बारीक टुकड़े, इतना ही घी और 250 ग्राम दूध मिला कर गर्म करें। जब गर्म करते-करते गाढ़ा हो जाय तो ठंडा करके मिश्री मिला कर नित्य प्रातः 20 दिन सेवन करें। खोई हुई मर्दानगी वापस आ जायेगी।
(2) प्याज के रस में आटा गूँद कर बाटी सेंक लें और प्याज की ही सब्जी से इसे खायें। एक माह में मर्दानगी आ जायेगी।
(3) प्याज का रस एक चम्मच, आधा चम्मच शहद में मिला कर पीयें। इससे वीर्य का पतलापन दूर होगा तथा वीर्य में वृद्धि होगी।
स्त्रियों के लिए जोशीला:
स्त्रियों का मासिक धर्म खुलकर लाता है। इनके लिए प्याज का रस शहद के साथ सेवन करें। ईरानी नागरिक याह्या अली अकबर बेग नरी ने 88 वर्ष की आयु में 168 वीं शादी (Marriage) की। इस आयु तक उसकी जवानी बरकरार रहने का कारण है उसका एक किलो कच्चा प्याज खाना। -वीरवाणी, जयपुर, दि० 18-7-1976
स्वप्नदोष:
दस ग्राम सफेद प्याज का रस, अदरक का रस आठ ग्राम, शहद पाँच ग्राम, घी तीन ग्राम मिला कर रात्रि को सोते समय पीने से स्वप्नदोष नहीं होता।
साँप काटना :
प्याज कूट कर निकाला हुआ रस 15 ग्राम, सरसों का तेल 15 ग्राम, दोनों को अच्छी तरह मिलाकर रोगी को पिला दीजिए। यह एक मात्रा है। ऐसी तीन मात्रा आधा-आधा घण्टे से पिला दें। साँप का विष उतर कर रोगी ठीक हो जायेगा। अस्पताल में इलाज करने का भी प्रयास करें।
जलोदर:
कच्चा प्याज बार बार खाने से पेशाब ज्यादा होता है और जलोदर के लिए यह एक अच्छी ओषधि है।
जुकाम:
यह जुकाम की सर्वोत्तम औषधि है। कच्चा प्याज खाने से जुकाम ठीक हो जाता है। ठण्ड से उत्पन्न रोगों में लाभ होता है। यह अनेक बार रोगियों को देकर देखा गया है।
त्वचा रोग:
कच्चे या पकाये हुए प्याज को खाने से त्वचा का पीलापन और त्वचा ठीक हो जाती है। त्वचा का रंग सुन्दर होता है। इसको आग में भूनकर गरम-गरम फोड़ों, गिल्टी पर बाँधने से मवाद बाहर आ जाती है। 'शोथ, जलन, दर्द आदि को आराम जाता है और घाव शीघ्र भर जाता है। संक्रमण का घाव भी नहीं रहता।
होम्योपैथिक डॉक्टर कूक, गेबील और मिनचेन कहते हैं कि एक भाग प्याज के रस को चार भाग पानी में मिलाकर सड़े हुए, मवाद भरे घाव को धोने और बाद में इसी घोल में तर किया हुआ गॉज (कपड़ा) घाव पर बाँधने से घाव ठीक हो जाता है। यह रक्त साफ करता है; कीटाणुओं को मारता है; खुजली मिटाता है। प्याज को कूट कर रगड़ने से कुछ ही दिनों में बिवाइयाँ फटना बन्द हो जाता है।
काले दाग:
काले दागों पर प्याज का रस लगाने से कालापन दूर हो जाता है।
नकसीर:
नकसीर आने पर प्याज का रस नाक में डालें। प्याज का रस नाक और गले के संक्रमण (Infection) को ठीक करता है।
यक्ष्मा:
यक्ष्मा या टी० बी० के लिए बहुत सालों पहले इग्लैण्ड के डॉ० पर्स कच्चा प्याज खाने को बताया करते थे। डॉ० डब्ल्यू सी० मिनचेन ने कहा है कि शरीर पर यक्ष्मा के कीटाणुओं के आक्रमण को प्याज का रस नष्ट कर देता है। कच्चे प्याज को खाने से भी समान प्रभाव होता है। यह स्वास्थ्य रक्षक, कीटाणुनाशक है। कच्चे प्याज पर नमक डाल कर खाने से यक्ष्मा में अधिक लाभ होता है। इटली के डॉक्टरों के अनुसंधानस्वरूप यह पता चला है कि प्याज रस क्षय-रोग में भी कारगर सिद्ध हुआ है। उन्होंने क्षय-रोग-ग्रस्त गिनीपिगों में प्याज रस का इंजेक्ट किया तो पाया कि यह क्षय की प्रगति में बाधक होता है। रूसी डॉक्टरों का कहना है। इसमें कुछ प्रतिजैविक (ऐन्टीबायोटिक) गुण भी हैं।
रक्ताल्पता:
वे व्यक्ति जिनमें रक्त की कमी है, प्याज का रस या कच्चा प्याज खाकर रक्त बढ़ा सकते हैं, क्योंकि प्याज में लोहा काफी मात्रा में होता है। प्याज में विटामिन लोहा, गन्धक, ताँबे जैसे बहुमूल्य खनिज पाये जाने के कारण पाचन अंगों में उत्तेजना उत्पन्न करता है। प्याज शारीरिक शक्ति बढ़ाता है।
विषैले जन्तु का काटना:
मधुमक्खी, विषैले कीड़े, बर्र, बिच्छू, भि़ड़ आदि विषैले जन्तु काट लें तो प्याज पीसकर लेप करने से लाभ होता है। बिच्छू के डंक मारने पर प्याज के टुकड़ों पर नमक डालकर खिलाना भी चाहिए। गुड़ भी खिला सकते हैं।
उल्टी:
अदरक और प्याज का रस दो चम्मच पिलाने से उलटी बंद हो जाती है। दाँत के दर्द या मसूड़ों में पीड़ा होने पर प्याज का टुकड़ा उस जगह रख देने से दर्द बन्द हो जाता है।
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