!! श्री हनुमान चालीसा !!
॥ दोहा॥
॥ चौपाई॥
श्री हनुमान जी की पूजा-अर्चना से सम्बंधित विशेष बातें:-
1. श्री हनुमान जी में भक्ति रमाने या इनकी पूजा-अर्चना करने वाले साधक को ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिये।
2. श्री हनुमान जी में भक्ति रमाने या इनकी पूजा-अर्चना करने वाला साधक शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करे, मॉंस-मदिरा, लहसुन-प्याज आदि को कदापि ग्रहण न करे।
3. श्री हनुमान जी में भक्ति रमाने या इनकी पूजा-अर्चना करने वाला साधक श्री हनुमान जी की पूजा करने के साथ भगवान श्रीरामचन्द्र जी, भगवान शंकर जी, व जगद्जननी मॉं दुर्गा जी में भी आस्था रमाये।
4. श्री हनुमान जी में भक्ति रमाने या इनकी पूजा-अर्चना करने वाला साधक श्री हनुमान जी को चढ़ाए गये सिंदूर को अपने मस्तक पर न लगाये।
5. श्री हनुमान जी में भक्ति रमाने या इनकी पूजा-अर्चना करने वाला साधक श्री हनुमान जी की पूजा को ठीक हनुमान जी के सामने होकर न करे।
6. श्री हनुमान जी की पूजा में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माना जाता है।
7. श्री हनुमान चालीसा का पाठ व श्री हनुमान जी की पूजा-अर्चना का अधिकार बालक, युवा, युवती, लड़का,लड़की, महिला, पुरूष, विवाहित, अविवाहित, वृद्ध, रोगी, सुखी, नपुंसक अथवा यह कहें कि समस्त व्यक्तियों को है, लेकिन शुद्धता होनी चाहिये।
8. श्री हनुमान चालीसा को स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है, जो कि रामचरित मानस के बाद सबसे प्रसिद्ध रचना है। जब श्री तुलसीदास को अकबर ने हिन्दुत्व पुनरुत्थान के कारण अपने कारागार में बंद कर दिया था, तब उसी कारागार में कारागार से मुक्ति पाने के लिए श्री तुलसीदास ने श्री हनुमान चालीसा की रचना की। इस हनुमान चालीसा की रचना व पाठ के उपरांत बंदरों की बहुत भारी भीड़ उस कारागार के पास जमा करके उत्पात करना प्रारम्भ किया, जिससे घबराकर अकबर श्री तुलसीदास को कारागार से मुक्त करने का आदेश दिया।
!! बोलिए राजा रामचन्द्र की: जय !!
!! बोलिए पवनपुत्र हनुमान की: जय !!
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