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हरतालिका तीज व्रत: मुहूर्त और पूजा की विधि जानिए

हरतालिका तीज व्रत: प्रमाण 

हरतालिका व्रत का प्रसंग भविष्योत्तरपुराण में उपलब्ध है। इसमें वर्णित 'भाद्रस्य कजली कृष्णा शुक्ला च हरतालिका' के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका का व्रत किया जाता है। इसमें मुहूर्त मात्र हो तो भी परा तिथि ग्राह्य की जाती है, क्योंकि द्वितीया तिथि पितामह की और चतुर्थी तिथि पुत्र की होती है, इसलिए द्वितीया का योग निषेध और चतुर्थी का योग श्रेष्ठ माना गया है। यह व्रत भगवान शंकर व माता पार्वतीजी की प्रसन्नता के लिए किया जाता है। यह व्रत केवल स्त्रियों के लिए है  और शास्त्रों में इस व्रत को करने के लिए सधवा और विधवा सबको आज्ञा है।

2022 में हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त 

हरतालिका तीज व्रत द्वितीया युक्त होने पर हानिकारक होती है, लेकि चतुर्थी से युक्त होने पर विशेष फलदायक होती है। इस बार (2022 में) भाद्रपद शुक्ल द्वितीया दिन सोमवार (29 अगस्त) 2:38 PM तक है, जबकी भाद्रपद शुक्ल तृतीया दिन मंगलवार (30 अगस्त)  2:32 PM तक है, इसके बाद चतुर्थी लग रही है। इसलिए हरतालिका तीज व्रत मंगलवार (30 अगस्त) के दिन चतुर्थी से युक्त होने से विशेष फलदायी होगी। अतः 2022 में हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त दिन मंगलवार को ही है।

हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि

धर्मप्राणा स्त्रियों को चाहिये कि वे इस दिन प्रातः स्नानादि के उपरान्त मकान या पूजास्थल को मण्डपादि से सुशोभित कर पूजा-सामग्री एकत्रित करें। फिर हरतालिका तीज व्रत करने का संकल्प करें और संकल्प में 'मम उमामहेश्वरसायुज्यसिद्धये हरतालिकाव्रतमहं करिष्ये' का प्रयोग करें।

इसके बाद कलश स्थापना करके उसपर सुवर्णादि निर्मित शिव-गौरी (अथवा पूर्व प्रतिष्ठित शिव-गौरी) के समीप बैठकर यथासामर्थ्य पूजा सामग्री से पूजा शुरू करें। सबसे पहले माता गौरी जी की पूजा शुरु करें, जिसमें "ॐ उमायै नम:, ॐ पार्वत्यै नम:, ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:, ॐ जगद्धात्र्यै नम:, ॐ शान्तिरुपिण्यै नम:, ॐ शिवायै नम:, ॐ ब्रह्मरुपिण्यै नम:" मन्त्रों से यथाशक्ति पंचोपचार, दसोपचार या षोडशोपचार पूजन करें। 

फिर  "ॐ हराय नम:, ॐ महेश्वराय नम:, ॐ शम्भवे नम:, ॐ शूलपाणये नम:, ॐ पिनाकधृषे नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ पशुपतये नम: , ॐ महादेवाय नम:" मन्त्रों से शिवजी की यथाशक्ति पंचोपचार, दसोपचार या षोडशोपचार पूजन सम्पन्न करें। 

फिर "देवि देवि उमे गौरि त्राहि मां करुणानिधे। ममापराधा: क्षन्तव्या भुक्तिमुक्तिप्रदा भव।।" आदि से क्षमा प्रार्थना करें और व्रत के नियमों का पालन करते हुए उस दिन निराहार रहें। शाम को भी यथाशक्ति शिव-गौरी जी के समीप बैठकर यथासामर्थ्य पूजा सामग्री से पूजा करें। 

फिर दूसरे दिन पूर्वाह्न में स्नानादि के उपरान्त शिव-गौरी जी की यथासामर्थ्य पूजा करने के बाद पारण करके व्रत को समाप्त करने का विधान है।

निष्कर्ष:

हमने इस लेख में हरतालिका तीज व्रत का मुहूर्त, महत्व और पूजा की विधि के बारे में शास्त्रोक्त बात बताया है। आप जो भी पूजा-पाठ करें, वह नियमानुसार करें। कुछ स्थानों पर भक्त गण अपनी परम्परागत रूप से भी व्रत सम्पन्न करते हैं, लेकिन उपरोक्त विधियां ही शास्त्रों में वर्णित हैं।

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