लौकी के फायदे
- लौकी का वैज्ञानिक नाम: लेजिनेरिया सिकेरेरिया
- लौकी की प्रकृति: ठंडी और तर
शायद आप भी लौकी को खाना पसंद करते हों, क्योंकि यह सब्जी है। यह विशेषत: सितम्बर महीने से मार्च तक आसानी से मिल जाती है, क्योंकि यही इसका उगने का समय है। इसे घिया के नाम से भी लोग जानते हैं। हो सकता है कि आप लौकी के अद्भुत गुणों से अनभिज्ञ हो, पर चिंता करने की कोई बात नहीं, हम इस लेख में यह विस्तार से बताए हैं कि लौकी के कितने स्वास्थ्य लाभ हैं।
चूंकि लौकी मस्तिष्क की गर्मी को दूर करती है। यह छिलके सहित खानी चाहिये। लौकी ठंडी, तर प्रकृति की होती है। इसके और भी कई फायदे हैं, तो चलिए जानते हैं:
बिच्छू काटना :
बिच्छू-काटे स्थान पर लौकी पीस कर लेप करें तथा इसका रस पिलायें तो बिच्छु काटे का जहर उतर जायेगा।
दस्त :
लौकी का रायता हर प्रकार के दस्तों में लाभप्रद है।
पुत्र प्राप्ति में सहायक :
जिन स्त्रियों को लड़कियाँ ही होती हैं वे गर्भ ठहरने के दूसरे और तीसरे महीने में लौकी बीज सहित मिश्री के साथ लगातार खायें, तो लड़की के स्थान पर लड़का उत्पन्न होगा। यह प्रयोग सफल रहा है। गर्भावस्था के प्रारम्भिक से लेकर अन्तिम माह तक 150 ग्राम ग्राम कच्ची लौकी 70 ग्राम मिश्री के साथ प्रतिदिन खाने से गर्भस्थ शिशु का रंग भी निखर जाता है, व शिशु गोरा होता है।
गुर्दे का दर्द:
लौकी के टुकड़े करके गर्म करके दर्द वाले स्थान पर इसके गर्म रस की मालिश करने और पीस कर लेप करने से गुर्दे का दर्द तुरन्त कम हो जायेगा।
पैर के तलवों की जलन :
लौकी या घीया को काटकर इसका गुद्दा पैर के तलवों पर मलने से गर्मी, जलन, भभका दूर होता है।
दाँत दर्द :
लौकी या घीया 75 ग्राम, लहसुन 20 ग्राम, दोनों को पीस कर एक किलो पानी में उबालें। आधा पानी रह जाने पर छानकर कुल्ले करने से दाँत-दर्द ठीक हो जाता है।
यक्ष्मा, टीबी :
ताजा लौकी पर जौ के आटे का लेप करें तथा कपड़ा लपेट कर भूभूल (आग) में दबा दें। जब भुर्ता हो जाये तो पानी निचोड कर शक्ति अनुकूल पिलाते रहें। एक महीने 'पिलाने से रोगी यक्ष्मा से ठीक हो जायेगा।
गर्भाशय का यक्ष्मा :
लौकी के कच्चे गुदे पर पिसी हुई मिश्री डालकर कर खाने से गर्भावस्था का यक्ष्मा ठीक हो जाता है। गर्भपात होने की सम्भावना नहीं रहती।
बवासीर :
बवासीर पर लौकी के पत्तों को पीस कर लेप करने से कुछ ही दिनों में बवासीर नष्ट हो जाते हैं।
पीलिया :
लौकी को धीमी आग में दबा कर भुर्ता-सा बनालें, फिर इसका रस निचोड कर तनिक मिश्री मिलाकर पीयें। यकृत की बीमारी और पीलिया के लिए लाभकारी है।
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