मृत्यु भय निवारक मृत्य्वष्टक स्तोत्र
मृत्यु भय निवारक आठ श्लोकों का स्तोत्र (मृत्य्वष्टक स्तोत्र) श्री गरुण पुराण में वर्णित है। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मृत्यु का भय नहीं होता और अकाल मृत्यु आदि से रक्षा होती है। मृत्य्वष्टक स्तोत्र की साधना करके महर्षि मार्कण्डेय महामुनि ने मृत्यु पर विजय प्राप्त किया, जैसा कि इस स्तोत्र में वर्णित है।
यह मृत्य्वष्टक स्तोत्र इस प्रकार है:
दामोदरं प्रपन्नोऽस्मि किन्नो मृत्युः करिष्यति ॥
शङ्खचक्रधरं देवं व्यक्तरूपिणमव्ययम् ।
अधोक्षजं प्रपन्नोऽस्मि किन्नो मृत्युः करिष्यति ।।
वराहं वामनं विष्णुं नारसिंह जनार्दनम् ।
माधवं च प्रपन्नोऽस्मि किन्नो मृत्युः करिष्यति ॥
पुरुषं पुष्कर क्षेत्रबीजं पुण्यं जगत्पतिम्।
लोकनाथं प्रपन्नोऽस्मि किन्नो मृत्युः करिष्यतिि।।
सहस्त्रशिरसं देवं व्यक्ताव्यक्तं सनातनम्।
महायोगं प्रपन्नोऽस्मि किन्नो मृत्युः करिष्यति ॥
भूतात्मानं महात्मानं यज्ञयोनिमयोनिजम् ।
विश्वरूपं प्रपन्नोऽस्मि किन्नो मृत्युः करिष्यति ॥
इत्युदीरित माकर्ण्य स्तोत्रं तस्य महात्मनः ।
अपयातस्ततो मृत्युर्विष्णुदूतैः प्रपीडितः॥
इति तेन जितो मृत्युर्मार्कण्डेयेन धीमता।
प्रसन्ने पुण्डरीकाक्षे नृसिंहे नास्ति दुर्लभम् ॥
!! इति मृत्य्वष्टक स्तोत्रम् !!
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