सोरायसिस: त्वचा की बीमारी
शायद आपको पता होगा कि सर्दियों का मौसम सेहत के लिहाज से बहुत अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस मौसम में जहां-तहां फल और सब्जियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो जाती हैं और बीमारियां भी अपेक्षाकृत बहुत ही कम ही होती हैं।
परन्तु आपको यह ज्ञात चाहिये कि सर्दी के मौसम में ठंड के कारण हाथों और पैरों की नसें सिकुड़ने से आमतौर पर ब्लड प्रेशर भी कुछ बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से हृदय पर दबाव बढ़ता है, जिससे एन्जाइना या ह्रदय में दर्द अथवा हर्ट अटैक की संभावनाएँ बढ़ जाती है।इसी तरह इन दिनों में आमतौर पर अनेक लोगों में जोड़ों का दर्द और त्वचा संबंधित बीमारियां भी बढ़ जाती हैं।
परन्तु क्या आप जानते हैं कि यदि थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो सर्दियों में होने वाली कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
सोरायसिस भी एक ऐसी बीमारी है जो सर्दियों के मौसम में अनेक लोगों को कष्ट देती है चाहे वे किसी भी उम्र के क्यों न हो। इसी बीमारी का हम यहाॅं पर वर्णन कर रहे हैं, जिसमें हम सोरायसिस के लक्षण और इससे बचाव को शामिल किया गया है।
सोरायसिस का हिन्दी अर्थ और सोरायसिस के प्रकार:
सोरायसिस को हिन्दी भाषा में "चमड़ी सख्त होकर फटना " भी कहा जाता है, परन्तु सोरायसिस कई प्रकार का होता है, जैसे - स्कैल्प सोरायसिस, हथेली और पैरों की सोरायसिस, आर्थोपैथी सोरायसिस इत्यादि।
सोरायसिस के लक्षण:
यह कुछ लोगों में जेनेटिक (आनुवांशिक) बीमारी भी होती है, जो त्वचा को प्रभावित करती है। एक अनुमान के अनुसार इस बीमारी से लगभग 2% आबादी ग्रस्त है। ठंड में यह बीमारी बढ़ जाती है, क्योंकि ठण्ड के कारण त्वचा सूख जाती है। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार है-
1. जाड़ों में खुजली और चोट वाली त्वचा पर भी सोरायसिस हो जाता है।
2. इस बीमारी में शरीर की त्वचा के किसी भाग पर खुजली होती है, क्योंकि त्वचा अधिक सूख जाती है। इसमें मुख्य रूप से खोपड़ी, हथेली और पैर की एड़ी पर सोरायसिस हो जाती है।
3. अगर इसे कंट्रोल नहीं किया जाए तो यह बीमारी हड्डियों और जोड़ों को प्रभावित कर देती है, जिससे जोड़ों में दर्द होने लगती है।
4. स्कैल्प सोरायसिस होने से सिर में रूसी पड़ने लगती है और खुजली मचती है, और लोग समझते हैं कि यह डैंड्रफ है, लेकिन यह एंटीडैन्ड्रफ से ठीक नहीं होता है। यह पपड़ीदार रूसी कपड़ों पर गिरती है, और माथे तक भी फैल जाती है।
5. पाॅम और शोल सोरायसिस में हाथ और पैरों के तलवों पर पपडी और चकत्ते पड जाते हैं और मरीज को बहुत खुजली होती है। मरीज खुजलाते- खुजलाते वहां घाव बना देता है।
6. एड़ी तो ठंड के मौसम में ऐसी फट जाती है कि रोगी ठीक से चल भी नहीं पाता । यदि इस बीमारी का जल्द ही उपचार न किया जाए तो यह आर्थ्रोपैथी सोरायसिस नामक बीमारी में बदल जाती है, जिसमें हड्डियां प्रभावित हो जाती हैं और जोड़ों में दर्द होने लगता है। समय से इलाज ना मिलने पर जोड़ों में अपंगता आ जाती है।
7. शरीर के सभी हिस्सों में चकत्ते पड़ जाते हैं, जिसे लास्ट कहते हैं। इन चकत्तों के अंदर मिट्टी या धूसर रंग की पपड़ी होती है, और पपड़ियों को हटाने पर छोटे - छोटे लाल दाने भी देखे जाते हैं जो बहुत ज्यादा खुजली पैदा करते हैं।
8. सिर, कोहनी और घुटनों पर सोरायसिस के चकत्ते शरीर के दूसरे हिस्सों से ज्यादा होते हैं।
सोरायसिस का बचाव और इलाज:
1. सोरायसिस का एलोपैथिक में कोई विशेष इलाज अभी तक नहीं बना है। परन्तु अन्य दवाओं से इस बीमारी का इलाज किया जाता है।
2. इससे ग्रस्त मरीजों के लिए जरूरी है कि वे सर्दियों में अपने शरीर को इस प्रकार से सुरक्षित रखें कि त्वचा अधिक रूखी न हो पाए और नम बनी रहे।
3. इस बीमारी का सही पता लगने के लिए स्किन बायोप्सी की जाती है।
4. त्वचा को सुखाने से बचाने के लिए नारियल तेल या सरसों के तेल से नियमित माॅलिश करें जिससे त्वचा नरम बनी रहे।
5. जाड़ों में नियमित रूप से शरीर को साफ रखें।
6. ब्लड प्रेशर की दवाई बिना डॉक्टरी सलाह के ना लें। अगर कुछ दवाएं नुकसान करें तो उन्हें तुरंत छोड़ दें।
7. शायद आपको पता होगा कि होम्योपैथिक दवाओं से हर प्रकार के रोगों का अतिशीघ्र और विश्वसनीय इलाज होता है, और रोगी रोग से इस प्रकार मुक्त हो जाता है कि आप कल्पना नहीं कर सकते, बशर्ते आपको एक विद्वान होम्योपैथिक चिकित्सक मिलना चाहिये; क्योंकि होम्योपैथिक दवाओं से इलाज करने के लिए विशेष सूक्ष्म ज्ञान की जरूरत होती है।
सोरायसिस के इलाज के लि होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग आप होम्योपैथिक चिकित्सक से मिलकर करें, क्योंकि चिकित्सक आपके सर्वांगीण लक्षणों को ध्यान में रखकर ही सुनिर्धारित औषधि से इलाज करते हैं।
धन्यवाद ! आप सर्दियों के मौसम में अपना और अपने परिवार का विशेष ध्यान अवश्य रखें।
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