श्री महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र
माता श्री महालक्ष्मी जी का यह अष्टक स्तोत्र छोटा तो है परंतु बहुत सुंदर और दिव्य है। यह अंतर्मन में अनन्य भक्ति जागृत करता है और मन को शांति प्रदान करता है। इसे याद करने के बाद आप आनंद व लय के साथ गा सकते हैं। इसमें जो लिखा है, वह थोड़ा भी अतिशयोक्ति नहीं है।
माता श्री महालक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने के बाद इस स्तोत्र से उनकी स्तुति करने वाले व्यक्ति पर माता श्री महालक्ष्मी जी अत्यंत प्रसन्न रहती हैं। तो यह स्तोत्र नीचे इस प्रकार है:
नमस्तेऽस्तु महामाये, श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
नमस्ते गरुड़ारूढ़े कोलासुर भयंकरि ।
सर्वपाप हरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे, सर्वदुष्ट भयंकरि ।
सर्वदुःख हरे देवि, महालक्ष्मी नमोस्तुते।
सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि, भुक्ति-मुक्ति प्रदायिनी।
मन्त्र मूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
आद्यन्तरहिते देवि, आद्य शक्ति महेश्वरी।
योगजे योगसंभूते, महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
स्थूलसूक्ष्म महारौद्रे, महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते ॥
पद्मासनस्थिते देवि, परंब्रह्मस्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥
श्वेताम्बर धरे देवि, नानालंकार भूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्त्रोतं, य: पठेद्भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति, राज्यमाप्नोति सर्वदा ।।
!! इति श्री महालक्ष्मी अष्टकम् !!
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