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Simply Understand Blood Pressure in Hindi

यहां हम आपको ब्लड प्रेशर के बारे में विस्तार से जानकारी देने का प्रयास करेंगें कि ब्लड प्रेशर क्या है और कितना होना चाहिए तथा किन चीजों से यह ....

Understand Blood Pressure

मित्रों! यहां हम आपको ब्लड प्रेशर के बारे में विस्तार से जानकारी देने का प्रयास करेंगें कि ब्लड प्रेशर क्या है और कितना होना चाहिए तथा किन चीजों से यह प्रभावित होता है।

वक्ष में फेफड़ों के बीच में उरोस्थि के पीछे पेशियों द्वारा निर्मित एक शंकु के आकार का खोखला अंग होता है, जिसे हृदय कहते हैं। शिखर थोड़ा बाईं ओर झुका हुआ है। हृदय का वजन लगभग 300 ग्राम होता है। इसमें चार कक्ष होते हैं,ऊपर दो आलिंद और नीचे दो निलय
Blood Pressure

हृदय का मुख्य कार्य शरीर के दूषित रक्त को खींचकर फेफड़ों में भेजना और शुद्ध रक्त को फेफड़ों से लेकर पूरे शरीर में भेजना है।
जब रक्त धमनियों में प्रवाहित होता है तो रक्त द्वारा धमनियों की दीवारों पर जो दबाव डाला जाता है उसे रक्तचाप (Blood Pressure)कहा जाता है। इसे mm Hg पैमानें पर मापा जाता है।
यह रक्तचाप (Blood Pressure) हृदय चक्र के विभिन्न चरणों में भिन्न - भिन्न होता है।
निलय आकुंचन के दौरान, जब बायां निलय रक्त को महाधमनी में प्रवाहित करता है, तो रक्तचाप सबसे अधिक होता है और इसे सिस्टोलिक दाब (systolic pressure) कहा जाता है।
निलय शिथिलन के समय जब निलय में रक्त भरता है, उस समय रक्तचाप कम हो जाता है, तब इस निम्नतम दबाव को डायस्टोलिक दाब (diastolic pressure) कहा जाता है।

रक्तचाप (Blood Pressure) का नियंत्रण:-

ब्लड प्रेशर दो बातों पर निर्भर करता है-
1. हृदय किस शक्ति से और कितना रक्त पंप करता है?
2. धमनियों की दीवार या धमनियाॅं किस सीमा तक संकुचित होती है। 
यह संकुचन वाहिकासंकोचक तंत्रिकाओं के नियंत्रण में होता है, जो मेडुला ऑबोंगटा में स्थित वाहिका प्रेरक केंद्र द्वारा नियंत्रित होते हैं। यह केंद्र धमनियों के परिधीय प्रतिरोध को इस तरह नियंत्रित करता है कि रक्तचाप समान रहता है।

रक्तचाप का मापन (Measurement of Blood Pressure):-

रक्तदाब मापने के लिए रक्तदाब मापक यंत्र स्फेग्मोमैनोमीटर आदि का प्रयोग किया जाता है।
स्फेग्मोमैनोमीटर तीन प्रकार का होता है -
1. एक पारा भरा हुआ है।
2. दूसरा घड़ी के डायल की तरह होता है और स्प्रिंग की मदद से चलता है।
3. इलेक्ट्राॅनिक स्फेग्मोमैनोमीटर।

नाड़ी दाब (Pulse pressure):-

सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दाब के बीच के अंतर को पल्स प्रेशर कहा जाता है। यह आमतौर पर 30 से 50 mm Hg होता है।
सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दबाव का अनुपात लगभग 3:2 होना चाहिए।
जब सिस्टोलिक रक्तचाप बढ़ता है, तो डायस्टोलिक दबाव भी ऊपर जाता है और इसके विपरीत।
कुछ हृदय रोगों में ऐसी स्थिति हो सकती है कि सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दाब के बीच कोई आनुपातिक संबंध नहीं होता है।

सामान्य रक्तचाप सीमा (mm Hg में):

किसी विशेष उम्र का ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए, इसे निम्न तालिका से जाना जा सकता है-
Blood Pressure

ब्लड प्रेशर हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। यह हर उम्र में, हर मौसम या अवधि में बदल सकता है। 
80/120 को सामान्य Blood Pressure माना जाता है।
मानसिक उत्तेजना, रोग, हाॅर्मोन्स और खाने की आदतों का रक्तचाप पर प्रभाव पड़ता है।
लिंग, निवास स्थान, जमीन से ऊंचाई, खुशी, उत्साह, दु:ख, चिंता आदि के अनुसार रक्तचाप कम या अधिक होता रहता है।

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